मकरसंक्रांति,पोंगल,लोहरी यह त्यौहार सूर्य के मकरराशिमें होनेवाले संक्रमण की स्थिति दर्शाते हैं।यह जाडेके मौसमका अनयकाल और लंबे दिनोंकी शुरूआत है।यह त्यौहार भारत-वर्ष में बड़ी धूमधामसे मनाएं जाते हैं। तील के बीज इस काल में संस्कृति और पौष्टिकता से जुड़े हुए हैं।यह छोटे बीज मकरसंक्रांति,पोंगल, लोहड़ी इन त्यौहारों में विभिन्न उद्दीष्ट पूर्ण करते हैं।जैसे भरभराट, आरोग्य और फसल के त्यौहार।
पौष्टिकता के मापदंड से देखा जाए तो तीलके बीज उपयोगी पौष्टिक द्रव्योंका खजाना है।वे प्रदान, आरोग्यदायक चर्बी(fats), खाने में मिलनेवाले फायबर (तंतू) और जिवनसत्वोंसे, खनिज तत्व जैसे कॅल्शियम,लोह, मॅग्नीज़ियम,फाॅस्फरस से भरपूर है।तीलके बीज इस मौसम में ऊर्जा और ताक़त देते हैं।जो जाड़े में शरीरकेलिए जरूरी है।तिल का खाने में इस्तमाल आयुर्वेद की देनं है। तिल शरीरका पोषण करता है और तंदुरुस्त रखता है।
तिल-गुड़ तीलसे और गुडसे भरा हुआ व्यंजन है।जिसका भारतदेशमें 'संक्रांती'त्योहारमें बड़ा महत्व है।तीलके साथ गुडसेभी हमे पौष्टिक तत्व मिलते हैं।यह गन्नेसे बना हुआ मिठास का नैसर्गिक स्त्रोत है। शक्कर का यह अच्छा पर्याय है क्योंकि इसमें क्षार, खनिज,लोह,पोटॅशियम मौजुद है।
संक्रांति इस मौसम में आती हैं जब पौधे काटने का समय होता है।तिल की उपलब्धता बहुत होने से तीलके इस्तेमाल से बाकी व्यंजन भी बना सकते हैं। मौसम में उगे हुए इस ताजे बीजसे प्रकृतिकी विपुलता का यह त्यौहार लोग मनाते हैं।
सांस्कृतिक तरीकेसे तिल मकरसंक्रांति,पोंगल,और लोहड़ी को महत्व देता है।तीलका उपयोग विविध व्यंजनोंकेलिए किया जाता है।जैसे तिलका लड्डू,तिलकी चिक्की,और तिलके चावल यह पदार्थ एक दुसरेके घर देना मतलब अपनी खुशी और प्यार बाॅंटना होता है।कई प्रांतों में तिल अग्निको अर्पित करते हैं,जिसका मतलब है कि इस भरपूर उपलब्धि के लिए हम निसर्ग का अभिवादन करते हैं।और अगले साल भी अच्छी फसल हो इसलिए प्रार्थना करते हैं।
जैसे लोग वसंत ऋतु का और अच्छी फसलका त्योहार मनाते हैं वह निसर्ग का सांस्कृतिक प्रदान है।लोग विविध व्यंजन बनाके अपनी संस्कृति और परंपराका पालन करते हैं।इस संक्रांति को हम एक दुसरे को तिल-गुड़ देके मधुरता और प्यारसे एक-दुसरे को बॅंधे रहें।
नमकीन तील चावल ---(इलू सादम्)।
साहित्य ---
अढाई कप पके हुए चावल
५ बड़े चम्मच तील
५बडे चम्मच कद्दुकस सूखा नारियल
तीन बडे चम्मच तेल
छोटा चम्मच राई
देढ छोटा चम्मच ऊडद दाल
देश छोटा चम्मच चणा डाल
थोडा कढि पत्ता,हींग ,२-३ लाल सुखी मिर्च,नमक ।
क्रृती----कढाईमें तील और नारियल भुने और कूटकर उसका मोटा पाउडर बनाए।पॅन में तेल डालकर गरम होने पर राई डालें। ऊडदडाल,चनाडाल,कढीपत्ता,हींग और सुखी मिर्च डालें।तील और खोपरेका कूटा
हुआ मिश्रण डालें। अच्छी तरह भुने उसमें पके हुए चावल और नमक डालकर अच्छी तरह मिला दें।
इस तरह इलू सदाम खानेकेलिए तैयार है।
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